राजपूताने का पहला जौहर बयाना किले में हुआ लेकिन आज भी विकास बयाना किला विकास की राह देखता नज़र आ रहा ...

निखिल सक्सेना की रिपोर्ट...

 

आपको बता दें की बयाना को बाणासुर की नगरी' के नाम से भी जाना जाता है। बयाना मुगल इतिहास में भी एक प्रसिद्ध शहर हुआ करता था। जाटों द्वारा निर्मित बयाना का किला आज भी अपने आप में एक अनूठा किला माना जाता है।  चित्तौड़गढ़ का दुर्ग  बनने से पहले यह किला एशिया के सबसे बड़े किलों में से था। बयाना मुगलकाल में नील की मंडी के लिए भी प्रसिद्ध था कुछ इतिहासकारों का यह भी कहना है कि मुग़ल बादशाह बाबर ने बयाना आकर शराब पीना त्याग दिया था। बयाना में मुस्लिम समुदाय भी अच्छी संख्या में रहता है, मुस्लिम समुदाय के बुजुर्ग लोगों का तो यहाँ तक मानना है कि जब मुसलमानों का तीर्थ चुना जाना था तब मक्का और बयाना में सिर्फ ढाई कब्र का अंतर था यदि ऐसा हुआ होता तो आज मक्का मदीना की जगह बयाना में मुस्लिम तीर्थ होता। यहाँ की मस्जिद उषा मस्जिद भी काफी प्रसिद्ध मानी जाती है। यहाँ की भीतरबाड़ी स्थित उषा मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध मंदिर है जहाँ से बयाना के इतिहास में मौजूद होने के शाक्ष्य प्राप्त होते हैं।

 

ऊषा मंदिर से प्राप्त 956 ई. के एक अभिलेख से ज्ञात होता है की यहां का राजा उस समय लक्ष्मण सेन हुआ करता था बयाना आगरा के निकट होने के कारण भी काफ़ी प्रशिद्ध रहा यहां से गुप्तकालीन सिक्के भी प्राप्त हुए है जोकि यह साबित करते है की यहां पर गुप्त शासकों का भी अधिकार रहा बयाना अपनी नील की पैदावार के लिए भी काफ़ी  प्रसिद्ध रहा |

 

बयाना किले में एक प्राचीन शिव मंदिर बना हुआ है जिसे  पहाड़ ेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर से लोगों की काफ़ी आस्था है सावन के सोमवार को यहां लोगों का भारी तादाद में  जमावड़ा देखने को मिलता है और स्थानीय निवासी के अनुसार जो लोग इस मंदिर में सच्चे मन से जो मनोकामना पूरी करते है भगवान शिव उनकी कामना जरूर पूरी करते है 


लेकिन ज़ब जमीनी स्तर पर देखा जाए तो आज भी कही ना कही बयाना दुर्ग विकास की राह पर अरावली की पहाड़ी पर शान से उस वक़्त की शौर्य गाथा का गुणगान करता नज़र आता है